- सैलरी, ग्रेच्युटी और ओवरटाइम पर बड़ा एलान
- 40 करोड़ कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी
- गिग कर्मचारी और प्लेटफॉर्म वर्कर भी किए शामिल
- नियुक्तिपत्र अनिवार्य, न्यूनतम वेतन का दायरा बढ़ाया
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
मोदी सरकार ने श्रम सुधारों पर अब तक का सबसे बड़ा दांव चल दिया है। श्रम से जुड़े 29 कानूनों को खत्म कर दिया है, उसके बदले देश में चार चार नए श्रम कानून लागू हो गए हैं। सरकार का दावा है कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ये एक बड़ा कदम है। दरअसल, माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से किए गए ये बदलाव देश में रोजगार और औद्योगिक व्यवस्था में अहम भूमिका निभा सकते हैं। नए श्रम कानूनों से देश के करीब 40 करोड़ कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज भी मिलेगी। इसका मतलब है कि देश की आधी से अधिक कामगार पहली बार सुरक्षा के दायरे में लाए गए हैं।
नए श्रम कानून की खास बातें...
- वर्तमान में देश में लागू श्रम कानून काफी पुराने हैं। यह 1930-1950 के बीच के हैं। पुराने श्रम कानून आर्थिक हितों का ध्यान रखने वाले नहीं हैं। नए कानून के लागू होने के बाद देश के पुराने 29 लेबर कानून समाप्त हो गए।
- देश में लागू नए श्रम कानून के अनुसार, किसी भी कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है। वहीं, न्यूनतम वेतन का दायरा सभी श्रमिकों तक बढ़ेगा। नए लेबर लॉ में समय पर वेतन देने का कानून भी होगा।
- नए लेबर कोड में फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मियों के बराबर वेतन, छुट्टी, चिकित्सा व सामाजिक सुरक्षा के साथ पांच वर्ष के बजाय सिर्फ एक साल बाद ग्रेच्युटी का हकदार बनाया गया है।
- प्लेटफार्म वर्क व एग्रीगेटर्स को पहली बार लेबर कोड में परिभाषित करते हुए सभी गिग वर्कस को सामाजिक सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया है। एग्रीगेटर्स को वार्षिक टर्नओवर का एक से दो प्रतिशत योगदान करना होगा।
- बागान मजदूरों, आडियो-विजुअल व डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों, डबिंग आर्टिस्ट व स्टंट पर्सन समेत डिजिटल और आडियो-विजुअल कामगारों को भी नए कनून का हिस्सा बनाया है।
- खदान मजदूरों समेत खतरनाक उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के साथ उनकी आन-साइट सेफ्टी मानिटरिंग के मानक तय किए गए हैं।
- वस्त्र उद्योग, आईटी व आईटीईएस कर्मी, बंदरगाहों में काम करने वाले श्रमिक को हर माह की सात तारीख तक वेतन का भुगतान अनिवार्य रूप से करना होगा। साल में 180 दिन काम करने के बाद ही कर्मी सालाना छुट्टी लेने का हकदार होगा।
- लेबर कोड में विवाद के शीघ्र समाधान पर जोर है। इसमें दो सदस्यों वाले औद्योगिक न्यायाधिकरण होंगे और सुलह के बाद सीधे न्यायाधिकरण में जाने का विकल्प होगा।
- नेशनल ओएसएच बोर्ड सभी सेक्टर में एक जैसे सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मानदंड तय करेगा। 500 से अधिक कामगारों वाली जगहों पर जरूरी सुरक्षा समितियां होंगी, जिससे जवाबदेही बेहतर होगी। छोटी यूनिट के लिए रेगुलेटरी बोझ कम होगा।