एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के प्रो. कमलेश चौरे द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में प्रस्तुत केले की जैविक खेती पर शोध को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विशेष सराहना मिली।
By: Yogesh Patel
Jun 21, 2025just now
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया शोध
सतना, स्टार समाचार वेब
यह खबर शहर के शोधार्थियों के लिए प्रेरणा और उत्साह का कारण बन सकती है कि शहर के एकेएस विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख प्रो. कमलेश चौरे द्वारा यूनाइटेड किंगडम के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग में आयोजित राइजोस्फेयर 6 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया ‘एंडोफाइटिक बैक्टीरिया की भूमिका द्वारा बायोटिक स्ट्रेस नियंत्रण और केले की फसल उत्पादन में वृद्धि’ विषय पर मौखिक शोध व्याख्यान सराहा गया है। यह व्याख्यान 18 जून 2025 को प्रस्तुत किया गया, जिसमें यूनिवर्सिअी आफ एडिनबर्ग के प्रो. टिम जॉर्ज सत्र अध्यक्ष रहे।1582 में स्थापित यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग यूनाइटेड किंगडम की एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शोध-आधारित विश्वविद्यालय है जिसकी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में 27वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। प्रो. चौरे का शोध विशेष रूप से ‘मूसा अक्यूमिनाटा जी9’ किस्म में फ्यूजेरियम विल्ट रोग के जैविक नियंत्रण तथा फंक्शनल जीनोमिक्स पर केंद्रित है। इस कार्य में सहलेखकों के रूप में माही चौरे, शिल्पी सिंह और पियूष कांत राय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इंटरनेशनल वर्कशाप का आयोजन शीघ्र
सम्मेलन में प्रस्तुत इस शोध को वैज्ञानिक समुदाय द्वारा विशेष सराहना प्राप्त हुई, जो कि टिकाऊ और जैविक कृषि की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम माना जा रहा है। सम्मेलन में आए हुए विश्व के नामी बायोटेक वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों के साथ डॉ चौरे एडवांस्ड रिसर्च एंड इनोवेशन को लेकर सकारात्मक सहयोग हेतु डिस्कशन हुआ। जल्दी ही विश्वविद्यालय में इस संदर्भ में एक इंटरनेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। इस अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि पर एकेएस विश्वविद्यालय परिवार ने गहरी प्रसन्नता व्यक्त की है। विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर अनंत कुमार सोनी, कुलपति प्रो. बीए. चोपड़े, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. हर्षवर्धन, प्रो-वाइस चांसलर डॉ. आर.एस. त्रिपाठी, और जीवन विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. जी.पी. रिछारिया ने प्रो. चौरे एवं उनकी टीम को बधाई दी तथा विश्वविद्यालय का नाम वैश्विक मंच पर रोशन करने के लिए शुभकामनाएं दीं। प्रो. कमलेश चौरे ने इस अवसर पर कहा, कि यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरे विश्वविद्यालय के लिए और मेरी पूरी शोध टीम की मेहनत और समर्पण का परिणाम है। ऐसे मंच वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से जुड़ने और नवाचारों को साझा करने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं।