चित्रकूट में रामगिरि शिवानी शक्तिपीठ, जिसे फूलमती माता मंदिर भी कहा जाता है, का अद्भुत रहस्य है कि यहां बनाई गई छत हर बार ढह जाती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार यह सीता शक्तिपीठ है, जहां मां सती का स्तन गिरा था। मां की प्रतिमा मात्र पाँच फूल जितनी हल्की है और माना जाता है कि वे नेत्र रोग दूर करती हैं।
By: Yogesh Patel
Sep 22, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
सतना और मैहर जिले की पहचान मां शारदा शक्तिपीठ से होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां एक और प्राचीन शक्तिपीठ विद्यमान है, जिसके महत्व से अधिकांश लोग अनजान हैं? यह स्थल है रामगिरि शिवानी शक्तिपीठ, जिसे स्थानीय लोग श्रद्धापूर्वक मां फूलमती माता मंदिर के नाम से जानते हैं। चित्रकूट के पवित्र रामघाट से महज एक किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान धार्मिक मान्यता के अनुसार अत्यंत पावन है। देवी भागवत पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि चित्रकूट में सीता शक्तिपीठ स्थित है, जहां मां सती का दाहिना स्तन मंदाकिनी नदी तट पर गिरा था। इसी कारण यहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि लाखों श्रद्धालु चित्रकूट स्नान और दर्शन के लिए आते हैं, फिर भी इस पवित्र धाम से अनजान लौट जाते हैं।
देवी भागवत पुराण के सातवें स्कंध में यह उल्लेख मिलता है:
'देवकी मथुरायां तु पाताले परमेश्वरी। चित्रकूटे तथा सीता विन्ध्ये विन्ध्यवासिनी।।'
यानि, मथुरा में देवकी, पाताल में परमेश्वरी, चित्रकूट में सीता और विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी शक्तिपीठ स्थित है।
चमत्कारी मान्यता
स्थानीय श्रद्धालुओं का विश्वास है कि देवी खासतौर पर नेत्र संबंधी रोग दूर करती हैं। जिनकी भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वे यहां आकर मन्नत चढ़ाते हैं।
मंदिर पर नहीं टिकती छत
सबसे अद्भुत तथ्य यह है कि माता का मंदिर खुले आकाश तले स्थित है। कई बार छत बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार वह ढह गई। मान्यता है कि मां फूलमती माता को आकाश ही उनका प्राकृतिक आभामंडल है, और वे अपने भक्तों पर इसी रूप में कृपा बरसाती हैं। जानकार मानते हैं कि यदि इस शक्तिपीठ का सही प्रचार-प्रसार और विकास किया जाए, तो यह स्थल भी मैहर की मां शारदा की तरह देशव्यापी आस्था का केंद्र बन सकता है।
5 फूल जितनी हल्की प्रतिमा
मंदिर के पुजारी अजीत गौतम बताते हैं कि मां का विग्रह पहले मंदाकिनी की धारा में समाहित था। बाद में देवी ने गांववासियों को सपने में अपने विग्रह के बारे में बताया। जब मूर्ति जल से निकाली गई, तो उसका वजन केवल पांच फूल जितना हल्का निकला। तभी से यह मंदिर फूलमती माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
रिपोर्ट: योगेश पटेल