रीवा जिले के त्योंथर में एक महिला ने कोलोडियन बेबी को जन्म दिया, जिसके आंख, नाक और कान नहीं हैं। बच्चा दुर्लभ हर्लीक्विन इचथियोसिस बीमारी से पीड़ित है। वर्तमान में गांधी मेमोरियल अस्पताल में उसका गहन इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे केस लाखों में एक होते हैं।
By: Yogesh Patel
Jul 24, 202510:55 PM
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
जिले के त्योंथर क्षेत्र में एक प्रसूता ने कोलोडियन मेल बेबी को जन्म दिया है। जिसके आंख, कान व नाक अदृश्य हैं। बच्चे के जन्म के तत्काल बाद स्थानीय चिकित्सकों ने उसे गांधी मेमोरियल अस्पताल रेफर कर दिया है, जहां गहन चिकित्सा ईकाई में उपचार उपचार चल रहा है। शिशु रोग विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह के बच्चे का जन्म लाखों में एक होता है। बच्चे की शक्ल एलियन की तरह है।
बताया गया है कि त्योंथर क्षेत्र के रायपुर सोनौरी अंतर्गत ग्राम ढखरा निवासी प्रियंका पटेल नाम की महिला को प्रसव पीड़ा के कारण मंगलवार की शाम परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चाकघाट में भर्ती कराया था। बुधवार की तड़के प्रसूता ने एक अनोखी शक्ल के बच्चे को जन्म दिया। नवजात के चेहरे पर केवल मुह दिखाई दे रहा है, जबकि आंख, नाक व कान नजर नहीं आ रहे हैं। जिसे देख कर स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक भी हैरानी में पड़ गये। तत्काल ही 108 एम्बुलेंस की मदद से नवजात को गांधी मेमोरियल अस्पताल रेफर कर दिया। यहां पर चिकित्सकों ने बच्चे की जांच किया और उसे गहन शिशु ईकाई में भर्ती कर दिया।
8 माह में हुआ प्रसव
प्रसूता की सास शांति देवी पटेल ने बताया कि प्रियंका करीब आठ माह की गर्भवती थी। ऐसे में मंगलवार की शाम उसे दर्द उठा, जिसके चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां प्रसूता की नार्मल डिलिवरी हुई। लेकिन बच्चा पूरी तरह से विकसित नहीं है। उसके शरीर के त्वचा में दरारें हैं। चेहरा पूरी तरह से सफेद स्किन से कवर है। बच्चा केवल रो रहा है, उसकी आंख, कान व नाक नजर नहीं आ रहे हैं।
लगातार कराती रही जांच
परिजनों ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने लगातार महिला का चेकअप भी कराया है। इस बीच अल्ट्रासाउंड समेत ब्लड टेस्ट कई बार हुये हैं। हाल ही में दो दिन पूर्व भी महिला का अल्ट्रासाउंड कराया गया था। जिसे देख कर चिकित्सकों ने सितंबर माह की डिलिवरी डेट दिया था। साथ ही बताया था कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
हर्लीक्विन इचथियोसिस बीमारी से ग्रसित है नवजात
गांधी मेमोरियल अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के डॉ. नवीन कुमार मिश्रा ने बताया की नजवात अनुवांसिक बीमारी से ग्रसित है। इस बीमारी मे दोनों ही पैरेंट्स कॅरियर होते है। जिसके चलते वो बीमारी गर्भ मे पल रहे बच्चे को हो जाती है। यह लाइलाज बीमारी है। जिसके चलते बच्चे को स्किन फिशर हो जाती है और स्किन फट जाती है। चेहरा पूरा डिफेक्टिव हो जाता है और आंख की पुतलियां बाहर आ जाती है। इस बीमारी मे बचने की संभावना बहुत ही कम होती है। इस बीमारी को हर्लीक्विन इचथियोसिस कहते हैं।