ईयरफोन और ईयरबड्स से बहरेपन का खतरा: हर माह 150 मरीज, 70% युवा प्रभावित
By: Star News
Jun 26, 20251 hour ago
हर माह सामने आ रहे 150 से ज्यादा मरीज, 70 प्रतिशत युवा
रीवा, स्टार समाचार वेब
सुनने में परेशानी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसकी वजह मोबाइल का उपयोग बढ़ना है। दरअसल, युवाओं में ईयरफोन और ईयरबर्ड्स के लगातार उपयोग से सुनने की क्षमता कम हो रही है। इस तरह के हर माह 150 से अधिक मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इसमें 70 प्रतिशत युवा शामिल हैं।
ज्ञात हो कि कोरोना कॉल के बाद आईटी सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों के ज्यादातर कामकाज वर्क फ्रॉम होम हो गए हैं। इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई भी आॅन लाइन कर दी गई है। जिसकी वजह से न सिर्फ युवा घंटों मोबाइल के द्वारा मीटिंग में रहते हैं, बल्कि छात्रों को भी आॅन लाइन क्लॉस मोबाइल के द्वारा ही अटेंड करनी होती है। ऐसे में ईयर बड्स व ईयर फोन का उपयोग किया जा रहा है। जिसकी वजह से सुनने की क्षमता कम हो रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में इस तरह के मरीजों की संख्या में कई गुना ज्यादा इजाफा हुआ है। संजय गांधी अस्पताल के ईएनटी विभाग में ही हर माह 150 से ज्यादा मरीज इस समस्या से परेशान होकर पहुंच रहे हैं। इसमें ज्यादातर युवा शामिल होते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
ईयर फोन व ईयर बड्स के उपयोग से कान में सुनने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा अन्य तरह की परेशानी भी होने लगती है। पिछले तीन सालों में इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी है, इसमें ज्यादातर युवा हैं। इससे बचने के लिए लोगों को लगातार मोबाइल में बात करने से बचना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति का फोन पर बात करने का काम ही है तो उसे हर घंटे में कम से कम 10 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। अधिक समस्या होने पर तत्काल चिकित्सक के पास पहुंच कर सलाह लेनी चाहिए।
-डॉ. सुरेन्द्र सिंह मौपाची, ईएनटी स्पेशलिस्ट
30-50 डेसीबल तक हो रही सुनने की क्षमता
नाक, कान, गला विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि ईयर फोन व ईयर बड्स के लगातार उपयोग से सुनने की क्षमता 30-50 डेसीबल तक कम हो जाती है। ऐसे में लोगों को कम सुनाई पड़ता है। इसके अलावा कान के पर्दों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। कई मरीजों में तो कान बहने तक की समस्या देखने को मिली है।
बहरेपन के लक्षण