भारत और हिंदू एक ही हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है। इसकी सभ्यता पहले से ही इसे जाहिर करती है। हिंदू सिर्फ धार्मिक शब्द नहीं बल्कि एक सभ्यतागत पहचान है, जो हजारों साल की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी है। भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं।
By: Arvind Mishra
Nov 19, 202512:26 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत और हिंदू एक ही हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है। इसकी सभ्यता पहले से ही इसे जाहिर करती है। हिंदू सिर्फ धार्मिक शब्द नहीं बल्कि एक सभ्यतागत पहचान है, जो हजारों साल की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी है। भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र होने के लिए किसी आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता नहीं है। इसकी सभ्यतागत प्रकृति पहले से ही इसे दर्शाती है। यह बात संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह के दौरान कही। भागवत ने कहा- जो भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। हिंदू सिर्फ एक धार्मिक नहीं, बल्कि सभ्यतागत पहचान है।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा-आरएसएस की स्थापना किसी का विरोध करने या उसे नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने और भारत को वैश्विक नेता बनाने में योगदान देने के लिए की गई थी। विविधता के बीच भारत को एकजुट करने की पद्धति को आरएसएस कहा जाता है।
भागवत ने असम में जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से जुड़ी चिंताओं से निपटने के लिए आत्मविश्वास, सतर्कता और अपनी भूमि और पहचान के प्रति दृढ़ लगाव का आह्वान किया है। उन्होंने अवैध घुसपैठ, हिंदुओं के लिए तीन बच्चों के मानदंड सहित एक संतुलित जनसंख्या नीति की आवश्यकता और विभाजनकारी धर्मांतरण का विरोध करने के महत्व जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने ये भी कहा कि समाज के सभी वर्गों को मिलकर नि:स्वार्थ भाव से देश हित में काम करना चाहिए।