भारतीय नौसेना ने सोमवार को आईएनएस माहे का जलावतरण किया, जो माहे-क्लास की पहला पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान है, जिससे इसकी लड़ाकू ताकत बढ़ने की उम्मीद है। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की तरफ से आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की है।
By: Arvind Mishra
Nov 24, 20251:33 PM

मुंबई। स्टार समाचार वेब
भारतीय नौसेना ने सोमवार को आईएनएस माहे का जलावतरण किया, जो माहे-क्लास की पहला पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान है, जिससे इसकी लड़ाकू ताकत बढ़ने की उम्मीद है। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की तरफ से आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की है। आईएनएस माहे पश्चिमी समुद्र तट पर एक साइलेंट हंटर के रूप में काम करेगी, जो आत्मनिर्भरता से प्रेरित होगी और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित होगी। माहे को उथले पानी में पनडुब्बियों की खोज कर उन्हें नष्ट करने, तटीय निगरानी करने और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा जैसे अभियानों के लिए बनाया गया है।
माहे समुद्री शक्ति का सशक्त प्रतीक
समारोह में थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा-यह अवसर न सिर्फ गर्व का है, बल्कि देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता और समुद्री शक्ति का सशक्त प्रतीक भी है। उन्होंने कहा-माहे, आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट्स में पहला जहाज है जिसे कोचीन शिपयार्ड ने तैयार किया है। यह जहाज भारत की उस बढ़ती क्षमता का प्रमाण है जिसके बल पर देश अब जटिल युद्धपोतों को खुद डिजाइन, निर्माण और तैनात कर रहा है। आज नौसेना के 75 प्रतिशत से ज्यादा प्लेटफॉर्म पूरी तरह स्वदेशी हैं, यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का मजबूत संकेत है।
देश शांति से सोएगा, क्योंकि आप जागते रहेंगे
सेनाध्यक्ष ने कहा-माहे का नाम भारत की समुद्री विरासत से जुड़ा है। यह जहाज नवाचार और सेवा की भावना को साथ लिए आगे बढ़ रहा है। इसके शामिल होने से नौसेना की निकट-समुद्री प्रभुत्व क्षमता, तटीय सुरक्षा और समुद्री हितों की रक्षा और मजबूत होगी। सेना प्रमुख ने नौसैनिकों को संदेश देते हुए कहा- अब से इसकी जिम्मेदारी आपके कंधों पर है। जहाज उतना ही मजबूत है जितना मजबूत उसे चलाने वाला नाविक होता है। देश शांति से सोएगा क्योंकि आप जागते रहेंगे, और तिरंगा लहराता रहेगा क्योंकि आप उसकी रक्षा करेंगे।
तीनों सेना देश की शक्ति की त्रिमूर्ति
सेनाध्यक्ष ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को राष्ट्रीय सुरक्षा की असली शक्ति बताया। उन्होंने कहा-समुद्र, धरती और आकाश, ये तीनों मिलकर सुरक्षा की एक निरंतर रेखा बनाते हैं। इसलिए सेना, नौसेना और वायुसेना देश की सामरिक शक्ति की त्रिमूर्ति हैं। आज की मल्टी-डोमेन वॉरफेयर में यह तालमेल ही तय करेगा कि भारत अपनी सुरक्षा और प्रभाव को कितनी ऊंचाई तक ले जा सकता है। उन्होंने आपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह तीनों सेनाओं के बेहतरीन समन्वय का जीवंत उदाहरण था।
पूरे साहस के साथ राष्ट्र सेवा में डटे रहें
इस समारोह के अंत में जनरल द्विवेदी ने माहे और उसके क्रू के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा- जब यह जहाज आज अपना ध्वज फहराता है, तो यह सिर्फ नौसेना की उम्मीदें ही नहीं, पूरे देश का विश्वास अपने साथ लेकर चलता है। इसके हर मिशन में सफलता मिले, समुद्र हमेशा अनुकूल रहे और इसके नाविक पूरे साहस के साथ राष्ट्र सेवा में डटे रहें।