मलयेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित आसियान के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की। इस बैठक में राजनाथ सिंह ने भारत और आसियान देशों की रणनीतिक साझेदारी की तारीफ की और कहा कि आसियान देशों के साथ भारत के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं।
By: Arvind Mishra
Nov 01, 202510:44 AM
कुआलालंपुर। स्टार समाचार वेब
मलयेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित आसियान के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की। इस बैठक में राजनाथ सिंह ने भारत और आसियान देशों की रणनीतिक साझेदारी की तारीफ की और कहा कि आसियान देशों के साथ भारत के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए आसियान एक अहम और जरूरी तत्व है। राजनाथ ने कहा, भारत आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस की शुरूआत से ही एक सक्रिय भागीदार रहा है। भारत के लिए आसियान की रक्षा मंत्रियों की ये बैठक एक्ट ईस्ट पॉलिसी और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र के हमारे विजन का एक जरूरी हिस्सा रही है। आसियान के साथ भारत का जुड़ाव आसियान के रक्षा मंत्रियों की बैठक शुरू होने से पहले का है, लेकिन इस तंत्र ने एक संगठित रक्षा मंच मुहैया कराया है जो इसके कूटनीतिक और आर्थिक पहलुओं को पूरा करता है। 2022 में आसियान-भारत साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी में बदला गया, यह न केवल भारत-आसियान के संबंधों की मजबूती को दिखाता है बल्कि क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के बढ़ते तालमेल को भी दिखाता है।
आसियान मंच की अहमियत बढ़ी
भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में आसियान रक्षा मंत्री मीटिंग प्लस के इस मंच की अहमियत काफी बढ़ी है। यह एक डायलॉग प्लेटफॉर्म से प्रायोगिक रक्षा सहयोग के ढांचे में बदला। हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत रक्षा सहयोग के साथ आर्थिक विकास, तकनीक साझाकरण और मानव संसाधन में सहयोग को बढ़ावा देने के पक्ष में है।
नेविगेशन की आजादी मिले
राजनाथ ने कहा कि भारत आसियान देशों के साथ अपने रक्षा सहयोग को क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और क्षमता निर्माण के तौर पर देखता है। भारत का नजरिया है कि हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र मुक्त, समावेशी और नियमों पर आधारित हो। इस क्षेत्र में कानून का शासन रहे, खासकर यूएन कन्वेंशन आॅन द लॉ आॅफ सी के तहत नेविगेशन की आजादी मिले। राजनाथ ने ये साफ किया कि ये किसी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी हितधारकों के सामूहिक हितों की रक्षा के लिए है। आसियान देशों का सहयोग साइबर सिक्योरिटी, समुद्री क्षेत्र की जानकारी, बुनियादी ढांचे के विकास आदि क्षेत्रों तक फैल गया है।