टीकमगढ़ जिला अस्पताल में बड़ी कार्रवाई! लोकायुक्त सागर ने रिटायर कर्मचारी के फंड भुगतान के बदले ₹20,000 की रिश्वत लेते हुए नेत्र सहायक उमेश जैन को रंगे हाथों पकड़ा। जानें पूरी खबर और अस्पताल में हड़कंप का कारण।
By: Ajay Tiwari
Oct 06, 2025just now
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टीकमगढ़. स्टार समाचार वेब
टीकमगढ़ जिला अस्पताल में उस समय हड़कंप मच गया जब लोकायुक्त टीम सागर ने एक नेत्र सहायक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। यह कार्रवाई एक रिटायर कर्मचारी की शिकायत पर की गई, जो अपने फंड का भुगतान कराने के लिए रिश्वत देने को मजबूर था। लोकायुक्त टीम ने जैसे ही रिटायर कर्मचारी के इशारा किया, वे तुरंत मौके पर पहुँच गए और नेत्र सहायक से बीस हजार रुपये की रिश्वत राशि जब्त की। इस घटना के बाद अस्पताल के कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी सीटों से गायब हो गए।
शिकायतकर्ता रमेश चंद्र नायक, जो पहाड़ी बुजुर्ग के निवासी हैं, स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं। उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले फंड के भुगतान के लिए उन्होंने स्थापना बाबू संतोष अंबेडकर से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें नेत्र सहायक उमेश जैन से मिलने को कहा।
उमेश जैन ने रमेश चंद्र नायक से उनके ही फंड को निकालने के एवज में ₹30,000 की रिश्वत की मांग की थी। लंबी बातचीत के बाद, ₹28,000 देना तय हुआ। शिकायतकर्ता रमेश चंद्र नायक ने बताया कि वह काफी समय से अपने ही पैसों के भुगतान के लिए परेशान होकर चक्कर काट रहे थे, जिसके बाद उन्होंने लोकायुक्त सागर में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया।
लोकायुक्त की योजना के अनुसार, शिकायतकर्ता रमेश चंद्र नायक ने पहली किश्त के रूप में केमिकल लगे हुए ₹20,000 नेत्र सहायक उमेश जैन को दिए। जैसे ही उमेश जैन ने पैसे लिए, लोकायुक्त टीम के सदस्यों ने तुरंत पहुँचकर उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया और रिश्वत की राशि जब्त कर ली।
इस कार्रवाई से जिला अस्पताल में भ्रष्टाचारियों के बीच भय का माहौल बन गया और कई जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के डर से तत्काल अपने कार्यालय से नदारद हो गए। लोकायुक्त ने उमेश जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
शासन के हालिया आदेश ने रीवा जिले की राजस्व न्यायालय व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई अधिकारियों के पास एक साथ कई राजस्व कोर्ट हैं, जिससे सुनवाई प्रभावित हो रही है। नौ नायब तहसीलदार अब भी लूप लाइन में भटक रहे हैं, जबकि तीन अधिकारियों को ही न्यायालयीन जिम्मेदारी सौंपी गई है। आदेश के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध और हड़ताल हुई थी, जिसके बाद कलेक्टर को स्थानीय प्राथमिकता के आधार पर कार्य वितरण का अधिकार मिला।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
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राज्य शासन द्वारा अगस्त में जारी स्थानांतरण आदेशों के दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अब तक नई पदस्थापना पर नहीं पहुंच पाए हैं। त्योंथर एसडीएम पी.एस. त्रिपाठी को एडीएम सिंगरौली बनाया गया, पर डिप्टी कलेक्टर की अनुपस्थिति के कारण वे मुक्त नहीं हो पा रहे। इसी तरह अनुराग तिवारी का सतना तबादला भी अटका हुआ है। जबकि कुछ अधिकारियों ने रीवा में आमद दर्ज करा ली है, बाकी अब तक पुराने पदों पर ही जमे हुए हैं।
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चित्रकूट जिले के शिवरामपुर ग्राम पंचायत में अटल भूजल योजना के तहत 23 लाख 45 हजार रुपए की लागत से बने पटटा तालाब को ग्राम प्रधानपति ने ट्रैक्टर लगाकर तोड़ डाला। तालाब की इंटरलॉकिंग, रेलिंग और पत्थर उखाड़कर गायब कर दिए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह सब सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए किया गया है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
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सेरेब्रल पाल्सी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, जो गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद भी हो सकती है। इस बीमारी में बच्चे का मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर की कई नसें काम करना बंद कर देती हैं। सतना जिले के पीकू वार्ड में हर साल 100 से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर भर्ती किए जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन फिजियोथेरेपी बच्चों के जीवन में सुधार लाने का सबसे बड़ा सहारा है।
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